प्रदूषण की समस्या और निदान
1. प्रस्तावना-
गंगा मैली हो गयी । गलियाँ गंधा रही हैं , आकाश विषैली धूलों और धुओं से भर उठा है । वायुमण्डल विषाक्त हो उठा है । प्रदूषण की समस्या इतनी जटिल हो गयी है कि लोगों का जीना दूभर हो गया है ।
2. प्रदूषण क्या है -
प्रदूषण से लोगों का जीना हराम हो गया है । प्रदूषण जल , वायु तथा भूमि के भौतिक , रासायनिक और जैविक गुणों में होने वाला कोई भी अवांछनीय परिवर्तन है , जो विकृति को जन्म देता है । प्रदूषण वे सभी पदार्थ या तत्व हैं , जो प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से वायुमण्डल , जलमण्डल तथा पृथ्वीमण्डल को दूषित बनाकर, प्राणिमात्र के जीवन एवं संसाधनों पर बुरा प्रभाव डालते हैं ।
3. प्रदूषण की समस्या -
यह दिन - प्रतिदिन भयप्रद बनती जा रही है । शुद्ध जल और शुद्ध हवा का अभाव हो गया है जिससे प्रतिवर्ष हजारों लोग मौत के मुँह में समाते जा रहे हैं । भोपाल गैसकाण्ड , नागासाकी और हिरोशिमा पर द्वितीय विश्व - युद्ध में गिराये गये बमों के द्वारा जो विनाश लीला हुई , उसकी याद दिलाता है । कैंसर जैसे असाध्य रोगों का बढ़ता प्रकोप प्रदूषण की समस्या का ही दुष्परिणाम है ।
4. कारण -
इस समस्या के कारणों पर विचार करने पर ज्ञात होता है कि अणु - परमाणु विस्फोटों से फैलने वाली धूलों से वायुमण्डल और पृथ्वीमण्डल सभी विषाक्त हो रहे हैं जिससे रक्त कैंसर होता है । आज संपूर्ण विश्व तेजी से औद्योगीयकरण की ओर बढ़ रहा है । परिणामस्वरूप पग पग पर , गाँव - गाँव , नगर - नगर में कल - कारखाने स्थापित होते जा रहे हैं । इन कारखानों से निकलने वाले सड़े - गले पदार्थ , रासायनिक पदार्थ एवं गैसें सभी मिलकर प्रदूषण की समस्या को भयानक बनाते जा रहे हैं । नदी , सरोवर , वायुमण्डल सभी दूषित होते जा रहे हैं । वृक्षों , वनों को काटकर बड़े - बड़े नगर बसाये जा रहे हैं , भवन और बाँध बनाये जा रहे हैं । ये सब प्रदूषण के
5. समाधान -
कारण है तो समस्या का समाधान भी है । सर्वप्रथम भारत सहित विकासशील राष्ट्रों को यह विचार करना होगा कि उसे कैसा विकास चाहिए ? पाश्चात्य देशों का अन्धानुकरण छोड़कर इन देशों को अपने प्राकृतिक पर्यावरण तथा आवश्यकता के अनुकूल कल - कारखानों को लगाना चाहिये । कारखाने स्थापित करने से पूर्व उनसे निकलने वाली हानिकर धूल - गैसों को उचित दिशा व स्थानों की ओर स्थानान्तरित करने के लिए उपाय कर लिये जाने चाहिए । परमाणु परीक्षणों पर रोक लगायी जायें । वनों की निर्ममतापूर्वक कटायी न की जाये । जितने वृक्ष काटे जायें , उनसे अधिक लगाये जायें । नगरों की बढ़ती जनसंख्या को रोका जाये ।
इन्हें भी पढ़ें :-
- भारतीय नारी का महत्व या आधुनिक भारतीय नारी पर हिंदी में निबंध
- जीवन में खेलों का महत्व पर निबंध
- विज्ञानं का चमत्कार या विज्ञान के बढ़ते चरण पर निबंध
- दोस्ती या मित्रता पर सरल निबंध - Essay On Friendship in Hindi
- ब्रह्मपुत्र नदि पर निबंध - Bramputra nadi in hindi Nibandh
6. उपसंहार -
समय रहते यदि प्रदूषण की समस्या का निराकरण नहीं किया गया तो भारत ही नहीं सम्पूर्ण विश्व का विनाश निश्चित है । भोपाल गैसकाण्ड एक बड़ी चेतावनी है । सभी लोगों और देशों को चाहिए कि वह मनुष्यता को सर्वनाश से बचाने के लिए पर्यावरण को स्वच्छ बनायें तथा ऐसा कार्य न करें जिससे प्रदूषण की समस्या बढ़े और पावन प्रमुख कारण हैं गंगा भी मैली हो जाये ।
एक टिप्पणी भेजें