एडोल्फ हिटलर की जीवनी
दोस्तों आज के इस Post में आप पढ़ेंगे एडोल्फ हिटलर (Adolf Hitler) पर सरल शब्दों में एक लेख हिंदी में तो चलिए प्रारम्भ करते हैं।
हिटलर का उत्कर्ष :-
हिटलर का जन्म आस्ट्रिया के एक गाँव में 20 April 1889 में हुआ था । गरीबी के कारण वास्तविक शिक्षा ग्रहण कर नहीं पाया । वह म्युनिख चला गया और एक चित्रकार बन गया । उसी समय प्रथम विश्वयुद्ध हुआ । हिटलर सेना में भर्ती हो गया और उसने असाधारण योग्यता दिखाई । उसे ' आयरन क्रास ' मिला ।वर्साय की अपमानजनक संधि के बाद जर्मनी का उद्धार करने के लिए हिटलर ने राजनीति में प्रवेश किया । हिटलर में जर्मन वकर्स पाटी का गठन किया । आगे चलकर इस पार्टी का नाम बदलकर ' नेशनल सोशलिस्ट जर्मन वर्कर्स पार्टी ' रखा गया । यह नाजी पार्टी के नाम से प्रसिद्ध हुई । सन 1923 में हिटलर ने अपने साथियों के साथ मिलकर जर्मनी की गणतंत्रीय सरकार को पलटने का प्रयास किया । वह पकड़ा गया और उस पाँच वर्ष के कारावास का दंड मिला ।
हिटलर की आत्मकथा :-
कारावास में ही उसने अपनी आत्मकथा " मी केम्फ " ( मेण संघर्ष ) का प्रथम भाग लिखा । इसमें उसने जनतंत्र की घोर निंदा की । हिटलर ने नाजी पार्टी संगठन में मुसोलिनी का अनुकरण किया । नाजी पार्टी साम्यवादी व्यवस्था की विरोधी थी । जर्मनी के देशभक्त और भूतपूर्व सैनिक अफसर नाजी पार्टी के कट्टर समर्थक बन गए ।हिटलर अपने को देश का फ्यूचर ( नेता ) कहता था । उसके अनुयायी बाँह पर स्वास्तिक का चिन्ह लगाते थे । 1932 में राष्ट्रपति का चुनाव होने वाला था , हिटलर भी इस पद के लिए उम्मीदवार बना , पर वह हार गया । 1650 सीटों में से उसे 1626 सीटें मिल पाई । राष्ट्रपति हिडेनबर्ग ने 30 जनवरी 1933 को उसे चांसलर ( प्रधानमंत्री ) का पद दिया ।
हिटलर के कार्य :-
- अधिनायक तंत्र की स्थापना।
- गेस्टापो का संगठन।
- आर्थिक स्थिति में सुधार।
- यहूदियों पर अत्याचार।
- शिक्षा का एकीकरण (जर्मन संसार का सर्वश्रेष्ठ जाती है का प्रचार) करना।
- अनुकूल जनमत के लिए प्रयास।
उपसंहार :-
प्रधानमंत्री बनते ही हिटलर ने गणतंत्र की कब्र खोदनी शुरू कर दी । प्रधानमंत्री बनने के कुछ ही समय बाद हिटलर ने नए चुनावों के आदेश जारी किए । आतंक का राज्य स्थापित किया । नाजी विरोधी अनेक नेताओं की हत्या की । 27 फरवरी सन 1933 को संसद भवन में आग लगवायी । इसका दोष कम्युनिस्ट पाटो पर लगाया गया । सन 1934 में हिटलर जर्मनी का तानाशाह बन बैठा ।1934 में राष्ट्रपति हिडेनवर्ग की मृत्यु हो गयी । हिटलर ने एक कानून बना दिया । जिसके तहत राष्ट्रपति का पद प्रधानमंत्री के पद से मिला दिया गया । वह सर्वशक्तिमान बन गया । उसने तानाशाही अधिकार ग्रहण कर लिया । हिटलर का नारा था- " एक राष्ट्र- एक नेता । उसे ' डैर फ्यूरर ' कहा जाता था।
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