द्वितीय विश्व युद्ध का कारण और परिणाम
दोस्तों आज के इस Post में आप पढ़ेंगे द्वितीय विश्व युद्ध का कारण और परिणाम (Causes and Consequences of Second World war) पर सरल शब्दों में एक लेख हिंदी में तो चलिए प्रारम्भ करते हैं।
द्वितीय विश्व युद्ध :-
प्रथम विश्वयुद्ध को समाप्त हुए अभी मुश्किल से बीस वर्ष बीते होंगे कि सन 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध छिड़ गया । प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्धों के बीच के बीस वर्षों का काल दुनिया भर में जबरदस्त परिवर्तनों का काल था । इस काल में एक व्यापक संकट आया जिसने दुनिया के लगभग सारे भागों और खासकर पश्चिम के सबसे उन्नत पूँजीवादी देशों को प्रभावित किया ।एशिया और अफ्रीका में अभूतपूर्व जन - जागरण हुआ । जिसका लक्ष्य द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पूरा हुआ । जर्मनी में हिटलर की महत्वाकांक्षा , नाजियों को बढ़ावा , यहूदियों का विरोध और साम्राज्यवादी नीति के कारण विश्वयुद्ध प्रारंभ हुआ ।
मंचूरिया पर हमले से लेकर चेकोस्लोवाकिया को हथियाए जाने तक जापान , इटली और जर्मनी के सभी हमलों को पश्चिमी देशों ने अपनी मौन सहमति दी थी , परन्तु फिर भी नाजीवादी और फासीवादी शक्तियों की महत्वाकांक्षाएं पूर्ण नहीं हुई । वे विश्व को नये सिरे से बँटवारे की योजना बना रहे थे ।
द्वितीय विश्व युद्ध के कारण :-
- वर्साय की संधि
- नाजीदल का उदय
- फासीवाद का उदय
- राष्ट्रसंघ की असफलता
- उग्र राष्ट्रवाद की भावना
- तुष्टीकरण की नीति
- सैनिक गुटो का उदय
- आर्थिक मन्दी
- निःशक्तीकरण की समस्या
- तत्कालिक कारण
1. वसार्य की संधि :-
वर्साय की संधि द्वितीय विश्व युद्ध का एक प्रमुख कारण था । वर्साय की संधि में मित्र राष्ट्रों ने जर्मनी , आस्ट्रिया , इटली और टर्की के मानो हाथ पैर तोड़ कर रख दिये अर्थात पंगु बना दिया । इसमें विशेषकर जर्मनी को बहुत अपमानित किया गया । अल्सास और लॉरेन का प्रान्त वापस फ्रांस को दे दिया गया । जर्मनी को युद्ध अपराधी घोषित किया गया । उसकी सैनिक शक्ति को दुर्बल कर दिया गया । जर्मनी पर अत्यधिक आर्थिक बोझ डाला गया । अतः जर्मनी के लोग इस अपमान का बदला लेना चाहते थे ।2. नाजीदल का उदय :-
1934 में नाजीदल का प्रभाव बढ़ गया और हिटलर जर्मनी का तानाशाह बन गया । वह जर्मन कौम को विश्व की महान शक्ति बनाना चाहता था । उसने वर्साय संधियों की धज्जियाँ उड़ा दी । युद्ध नीति के सहारे ऑस्ट्रिया , सुदेतलैंड और चैकोस्लोवाकिया पर अधिकार कर लिया । यही युद्ध नीति महायुद्ध का कारण बनी ।3. फासीवाद :-
इटली में भी वर्साय की संधि से घोर असन्तुष्टी थी । परिणाम स्वरूप फासीवाद का जन्म हुआ । मुसोलिनी ने हिटलर की भांति इटली में सैनिक सरकार की स्थापना की । इटली ने एबीसीनिया तथा अल्बानिया पर अधिकार कर लिया । उसकी युद्ध नीति ने द्वितीय विश्व युद्ध की पृष्ठभूमि तैयार की4. राष्ट्रसंघ की असफलता :-
प्रथम महायुद्ध के पश्चात युद्धों को रोकने तथा विश्व में शान्ति बनाए रखने के लिए राष्ट्र संघ की स्थापना की गई , परन्तु यह संस्था असफल रही जब इटली ने अबीसीनिया पर , जर्मनी ने ऑस्ट्रिया तथा चेकोस्लोवाकिया पर और जापान ने मंचूरिया पर अधिकार कर लिया तो राष्ट्रसंघ उनके बढ़ते कदमों को रोकने की कोई कोशिश न कर सक्रा ।5. उग्र राष्ट्रवाद की भावना :-
जर्मनी में हिटलर फ्रांस से बदला लेने की योजनाएं बनाने लगा । फ्रांस ने जर्मनी की औद्योगिक बस्ती रूहर पर अधिकार कर लिया था । हिटलर ने नाजियों में उग्र राष्ट्रवाद की भावना कूट - कूट कर भर दी कि ' हमें और हमारे जर्मन राष्ट्र ' को फ्रांस से बदला लेना चाहता है । जापान भी विस्तार वादी । नीति अपनाये हुए था ।6. तुष्टीकरण की नीति :-
तुष्टीकरण का तात्पर्य है किसी आक्रामक शक्ति को मनाने ( संतुष्ट करने ) के लिए किसी कमजोर देश की बलि दे देना । 1917 की रूसी क्रांति के बाद राष्ट्रों के साम्यवाद की ओर झुकाव से पश्चिमी शक्तियां साम्यवाद को अपना शत्रु मानने लगीं । जर्मनी , इटली , जापान आदि देश साम्यवाद के कट्टर विरोधी थे । हिटलर ने इटली से मित्रता कर साम्यवाद के विरूद्ध मोर्चा बना लिया तो फ्रांस ओर इंग्लैण्ड ने उसके प्रति उदार नीति अपनाई । इसी नीति को तुष्टीकरण की नीति कहा जाता है ।7 , सैनिक गुटों का उदय :-
प्रथम महायुद्ध की भांति द्वितीय महायुद्ध से पहले यूरोप दो विरोधी सैनिक गुटों में बँट गया था । हिटलर ने अपनी स्थिति दृढ़ करने के लिए गुटबन्दी का सहारा लिया और इटली के तानाशाह मुसोलिनी को अपनी ओर मिला लिया । 1936 ई . में इनके बीच एक संधि हुई जो रोम – बर्लिन - धुरी के नाम से प्रसिद्ध है । दूसरी ओर रूस और जापान की भी आपस में खट - पट थी । जर्मनी रूस का शत्रु था ।अतः 25 नवंबर 1936 ई . को जर्मनी और जापान में रूस के विरूद्ध एक समझौता हुआ । 1937 ई . में इटली भी इसमें शामिल हो गया । रोम - बर्लिन - टोकियो धुरी पूर्ण हुई । एक गुट में धुरी राष्ट्र थे और दूसरे में इंग्लैंड , रूस और फ्रांस थे । सभी देश सुरक्षा की आड़ में जबरदस्त सैनिक तैयारियाँ कर रहे थे ।
8. आर्थिक मंदी : -
सम्पूर्ण विश्व में 1929-30 में घोर आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया । इससे एक नई स्थिति उत्पन्न हो गयी । सभी देशों में बेकारी बढ़ गई और साधारण जनता की स्थिति शोचनीय हो गयी । 1937 में जापान ने चीन पर आक्रमण करके उसके कई नगरों पर अधिकार कर लिया । इससे विश्व में युद्ध का वातावरण पैदा हो गया ।9. निःशस्त्रीकरण की समस्या :-
वर्साय की संधि के अनुसार सभी राष्ट्र निःशस्त्रीकरण की नीति का पालन करेंगे,परन्तु विजयी राष्ट्रों ने जर्मनी से तो निःशस्त्रीकरण की शर्तों का पालन करवाया और स्वयं मुक्त रहे । इससे निःशस्त्रीकरण के स्थान पर शस्त्रीकरण की भावना को बल मिला । जर्मनी के तानाशाह हिटलर ने कागज के चिथड़े कहकर वर्साय की संधि को दुत्कार दिया ।
10. तात्कालिक कारण :-
हिटलर द्वारा पोलैण्ड पर आक्रमण द्वितीय महायुद्ध का तात्कालिक कारण था । हिटलर बाल्टिक सागर तक पहुँचने के लिए मार्ग चाहता था । उसने पोलैण्ड से माँग की कि डैजिंग बन्दरगाह तथा वहाँ तक पहुँचने के लिए जर्मनी को मार्ग दे परन्तु ' पोलैण्ड ' की सरकार ने फ्रांस से सहायता का आश्वासन पाकर हिटलर की माँग को ठुकरा दिया । हिटलर ने 1 सितंबर 1939 को जर्मन सेनाएँ पोलैण्ड में घुसा दी ।3 सितंबर को ब्रिटेन और फ्रांस ने जर्मनी के खिलाफ युद्ध की घोषणा की । इस तरह पोलैण्ड पर हमले के साथ द्वितीय विश्वयुद्ध प्रारंभ हुआ । पोलैण्ड को कोई सहायता नहीं मिली । अतः तीन सप्ताह से भी कम समय में जर्मन सेनाओं ने पूरी तरह पोलैण्ड को जीत लिया । पोलैण्ड की राजधानी वारसा पर अधिकार कर लिया । अनेक महीनों तक वास्तविक लड़ाई नहीं हुई । इसलिए सितम्बर 1939 से अप्रैल 1940 तक जर्मनी द्वारा नार्वे और डेनमार्क पर हमले के समय तक के युद्ध को नकली युद्ध ( फोनीवार ) कहा जाता है ।
1940 में तीन बाल्टिक राज्य लिथुआणि लैत्विया और एस्तोनिया जो प्रथम विश्व युद्ध के बाद स्वतंत्र हो गए थे- सोवियत संघ में शामिल हो गए । एक गणराज्य के रूप में मोल्दातिया भी सोवियत संघ में शामिल हो गया । नवंबर 1939 में सोवियतसंघ का फिनलैंड से युद्ध हुआ । 5 जून 1940 को जर्मनी ने फ्रांस पर तीन ओर से आक्रमण कर दिया । 10 जून को हिटलर ने पेरिस पर अधिकार कर लिया । 22 जून को जर्मनी ने सोवियत संघ पर आक्रमण कर दिया ।
आरंभिक दौर में जर्मनी को सफलताएं मिलीं उसने लेनिनग्राद पर घेरा डाल दिया तथा जर्मन सेनाएं मास्को की तरफ बढ़ने लगीं । सोवियत संघ ने जर्मन हमले का बहादुरी से सामना किया । इसके पश्चात् हमले का सामना करने के लिए ब्रिटेन , सोवियत संघ और अमेरिका एक हो गये । ब्रिटेन के चर्चिल और अमेरिका के रूजवेल्ट ने रूस को सहायता देने का वायदा किया । इसके बाद सोवियत संघ और ब्रिटेन के बीच तथा सोवियत संघ और अमेरिका के बीच समझौते हुए । इसी एकता के परिणाम स्वरूप जर्मनी , इटली और जापान को हराया गया ।
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द्वितीय विश्व युद्ध के परिणाम :-
1 सितंबर 1939 को द्वितीय विश्व युद्ध प्रारंभ हुआ और 14 अगस्त 1945 को इसका अंत हुआ । इतना व्यापक युद्ध विश्व के इतिहास में आज तक नहीं लड़ा गया था । इस युद्ध के परिणाम अत्यंत भयंकर और महत्वपूर्ण हुए । इसके प्रमुख परिणाम निम्नलिखित थे ।- धन जन की हानि ।
- औपनिवेशक साम्राज्यों का अंत ।
- इंग्लैण्ड की शक्ति का हास ।
- सोवियत रूस की शक्ति में वृद्धि ।
- अमेरिका के प्रभुत्व में वृद्धि ।
- साम्यवादका प्रसार ।
- विश्व का दो गुटों में विभक्त होना ।
- संयुक्त राष्ट्र संघ का गठन ।
- जर्मनी का विघटन ।
- नये हथियारों का अन्वेषण तथा परमाणु बम का अविष्कार ।
धनजन की हानि :-
द्वितीय विश्व युद्ध में धन जन का कितना भीषण विनाश हुआ । इसका ठीक - ठीक अनुमान अभी तक नहीं लगाया जा सका है । लगभग एक लाख करोड़ रूपए से अधिक धन का व्यय हुआ । सबसे भयानक क्षति रूस की हुई । ब्रिटेन में लगभग दो हजार करोड़ रूपए के मूल्य की सम्पत्ति का विनाश हुआ । जर्मनी , फ्रांस , पोलैण्ड इत्यादि देशों की राष्ट्रीय सम्पत्ति के विनाश का कोई अनुमान ही नहीं लगाया जा सकता । दोनों पक्षों के पांच करोड़ से अधिक लोग मारे गए । अनेक देशों के आर्थिक एवं भौतिक संसाधनों की भी भारी क्षति हुई । कई प्राचीन नगर पूरी तरह बर्बाद हो गए ।औपनिवेशिक सम्राज्यों का अंत :-
द्वितीय विश्व युद्ध ने यूरोपीय राष्ट्रों को इतना शक्तिहीन बना दिया कि वे अपने उपनिवेशों को संभालने में असमर्थ हो गये । अतएव उन्हें उपनिवेशों को छोड़ना पड़ा । फलतः इस युद्ध के बाद भारत बर्मा , इण्डोनेशिया , मलाया आदि देश स्वतंत्र हो गये ।इंग्लैण्ड की शक्ति का हास :-
इंग्लैण्ड के संदर्भ में कहा जाता था कि इसका सूर्य कभी भी अस्त नहीं होता । इंग्लैण्ड । विश्व की बड़ी शक्ति माना जाता था । इस युद्ध के बाद उसकी शक्ति में हास हुआ और उसे एक - एक कर अपने सभी उपनिवेशों को मुक्त करना पड़ा ।सोवियत रूस की शक्ति में वृद्धि :-
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सोवियत रूस की शक्ति में काफी वृद्धि हुई । विश्व के दूसरे शक्तिशाली राष्ट्रों में उसकी गिनती होने लगी ।अमेरिका के प्रभुत्व में वृद्धि :-
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अमेरिका की शक्ति काफी बढ़ गई । यह विश्व का सबसे शक्तिशाली राष्ट्र बन गया ।साम्यवाद का प्रसार :-
द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद साम्यवाद का पर्याप्त प्रसार हुआ । प्रथम विश्वयुद्ध के बाद संसार में केवल सोवियत रूस में ही साम्यवादी व्यवस्था थी , लेकिन द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद पूर्वी यूरोप के अनेक देशों तथा चीन , उत्तर कोरिया आदि एशियाई देशों में भी साम्यवादी व्यवस्था की स्थापना हुई । द्वितीय विश्वयुद्ध का यह एक महत्वपूर्ण परिणाम सिद्ध हुआ ।विश्व का दो गुटो में विभक्त होना : -
द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद अमेरिका और रूस में प्रभाव -वृद्धि की होड़ चल पड़ी और संसार के देश दो गुटों में विभाजित हो गए । पूर्वी यूरोप , चीन और दक्षिण पूर्वी एशिया रूस की कम्युनिस्ट विचारधारा से प्रभावित होकर रूस के प्रभाव क्षेत्र में आ गए । दूसरी ओर पश्चिमी यूरोप तथा एशिया के कुछ देश अमेरिका के प्रभाव क्षेत्र में आ गए । संसार दो विचारधाराओं ( साम्यवादी एवं पूँजीवादी ) में विभाजित हो गया । साम्यवादी गुट का नेता रूस बना और पूँजीवादी गुट का अमेरिका । इसके बाद ही रूस और अमेरिका में शीत युद्ध की स्थिति निर्मित हो गयी । इधर सोवियत रूस के विघटन के बाद शीतयुद्ध का युग समाप्त हो गया ।संयुक्त राष्ट्र संघ का संगठन :-
द्वितीय विश्वयुद्ध ने यह स्पष्ट कर दिया कि अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर किसी ऐसी संस्था का संगठन जरूरी है जो पूर्ववर्ती राष्ट्रसंघ से अधिक शक्तिशाली हो तथा जो विश्व में शांति कायम रख सके । संयुक्त राष्ट्रसंघ की स्थापना इसी उद्देश्य से 1945 में हुई ।जर्मनी का विघटन :-
द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद जर्मनी को दो भागों में बाँट दिया गया- पश्चिमी जर्मनी और पूर्वी जर्मनी । पश्चिमी जर्मनी इंग्लैण्ड , अमेरिका तथा फ्रांस के संरक्षण में और पूर्वी जर्मनी रूस के संरक्षण में रहे ।For Tech & Computer Science : www.skyujala.com
नए हथियारों का अन्वेषण तथा परमाणु बम का अविष्कार :-
द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अनेक नए हथियारों का इस्तेमाल हुआ । संयुक्त राज्य अमेरिका ने सबसे पहले परमाणु बम का अविष्कार इस युद्ध के दौरान ही किया । युद्ध की समाप्ति के बाद आणविक हथियारों के निर्माण के लिए देशों में होड़ मच गई और ही वर्षों में कुछ अन्य देशों ने भी आणविक हथियार विकसित कर लिए । इसके अतिरिक्त अन्य नाभिकीय अस्त्रों का भी विकास हुआ । ये अस्त्र , जापान पर गिराए गए परमाणु बमों से भी हजारों गुना अधिक शक्तिशाली हैं । अगर दुर्भाग्यवश कभी इनका उपयोग किया गया तो सम्पूर्ण विश्व ही नष्ट हो जाएगा । इस तरह द्वितीय विश्वयुद्ध ने भविष्य में और भी भयंकर युद्ध की संभावनाएं पैदा कर दी है ।महत्वपूर्ण तिथियाँ :-
1 सितंबर 1939 ई. - द्वितीय विश्व युद्ध प्रारंभ3 सितंबर 1939 ई. - ब्रिटेन एवं फ्रांस ने जर्मनी के विरूद्ध युद्ध की घोषणा की
14 जून 1940 ई. - जर्मन सेनाओं का पेरिस पर अधिकार
22 जून 1941 ई. - जर्मनी ने सोवियत संघ पर आक्रमण किया
अप्रैल 1945 ई. - मुसोलिनी को फांसी दे दी गई ।
2 मई 1945 ई. - हिटलर ने आत्महत्या कर ली
6 अगस्त 1945 ई. - अमेरिका ने हिरोशिया नागासाकी ( जापान ) पर बम गिराया
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