मेक इन इंडिया पर निबंध
प्रस्तावना :-
'मेक इन इंडिया ' यह भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा दिया नारा है, जो अपने आप में एक योजना को समेटे हुए है । इसका तात्पर्य है आवश्यकतानुरुप उत्तम से उत्तम वस्तुओं का निर्माण भारत में ही हो , जिसका लाभ हर दृष्टिकोण से और वास्तव में देशवासियों को ही मिले।उद्देश्य :-
मोदी जी का यह आइडिया जो अब एक स्कीम का रूप ले रहा है इसका प्रमुख उद्देश्य भारत में रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाना है और कौशल क्षमता को विकसित करने से है । कौशल क्षमता विकसित होने के साथ अर्थव्यवस्था के लगभग 25 क्षेत्रों पर ध्यान केन्द्रित करना है जिनमें से प्रमुख है- ऑटोमोबाइल , रसायन , आई.टी. , वस्त्र , बंदरगाह , विमानन , चमड़ा , पर्यटन और आतिथ्य - कल्याण , रेल्वे , डिजाइन , अक्षय ऊर्जा , खनन , जैव प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रॉनिक्स । इन 25 क्षेत्रों में से अंतरिक्ष 74 % , रक्षा 49 % , समाचार - मीडिया 26 % , को छोड़कर शेष सभी क्षेत्रों में E.D.I. निवेश की अनुमति दी गई है । इस कार्यक्रम से देश की GD.P. विकास दर और राजस्व कर में वृद्धि की उम्मीद है ।योजना से लाभ :-
इस योजना का सबसे बड़ा फायदा तो यह होगा कि देश में बनी वस्तु की कीमत कम होगी और उत्पादित वस्तु का निर्यात कर राजकीय कोष में वृद्धि होगी ।इस स्कीम के लिए 930 करोड़ रुपए का प्रावधान दिया गया है । सरकार योजना के लिए 581 करोड़ रुपए देगी । पूरी योजना पर 20,000 करोड़ रुपए का खर्च हो सकता है ऐसा अनुमान है ।
इस पहल का एक महत्वपूर्ण लाभ यह है कि उच्च गुणवत्ता मानकों को स्थापित करना और पर्यावरण पर दुष्प्रभावों को न्यूनतम करना भी है । इस योजना से भारत में पूँजी और प्रौद्योगिकी निवेशकों को आकर्षित करने में मदद मिलेगी ।
इस दिशा में 14 सितंबर से 15 अगस्त के बीच भारत में उत्पादन में इच्छुक कंपनियों से । लाख करोड़ रुपए के प्रस्ताव किये जा चुके है ।
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जीरो डिफेक्ट , जीरो इफेक्ट :-
' Zero Defect zero effect ' भारत के प्रधानमंत्री मोदी जी द्वारा इस पहल को दिया एक नारा है जो इस बात का प्रतीक है कि उत्पाद में शून्य दोष हो और जिस प्रक्रिया से उत्पादन हो उनका पर्यावरण व पारिस्थितिक पर शून्य प्रतिकूल प्रभाव हो । इसकी सफलता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जापान , रूस , इत्यादि देश यहाँ आगे आए है । रूस के साथ डिफेन्स और न्यूक्लियर के क्षेत्र में Make in India की दिशा में हमें सहयोग मिल रहा है । इस मिशन के तहत डिफेंस प्रोजेक्ट के तौर पर रूसी कामोव 226 हेलीकॉप्टर भारत में बनाए जायेंगे ।Make in India जैसी रचनात्मक पहल भारत के उज्जवल औद्योगिक भविष्य के लिए नींव की ईंट साबित होगी ।
रोजगार के कई गुना वृद्धि के साथ , आम भारतीय की क्रय - शक्ति में वृद्धि होगी । गरीबी कम होगी , कंपनियों के लिए उपभोक्ता आधार का विस्तार होगा । सबसे अहम बात कि प्रतिभा पलायन जो हमारे देश की सबसे बड़ी समस्या है वह कम होगी । विदेशी निवेश के साथ - साथ तकनीकी विशेषज्ञता और रचनात्मक कौशल विकसित होगा ।
योजना को सफल बनाने में चुनौती :-
इस योजना को सफल बनाने में जिन चुनौतियों का सामना करना है वह प्रमुख रूप से इस प्रकार है।- औद्योगिक संस्थान व सरकार के मध्य टूटते विश्वास को कायम रखना।
- विकास के लिए सही जमीन व वातावरण , इसमें यह ध्यान रखना होगा कि किसानों की जमीन न हड़पी जाए ।
- कुशल कारीगरों की आवश्यकता जिसके लिए धन की व्यवस्था , जैसे- कोरिया , जापान , जर्मनी में 80 % लोग कुशल है यहाँ कुशलता से तात्पर्य कौशल से है लेकिन भारतीय जनता केवल 12 % कौशल कुशल है ।
इन तीन प्रमुख चुनौतियों को ध्यान में रखते आगे बढ़े तो नि : संदेह सफलता हाथ लगेगी । माना कि चीन के जैसे हमारे पास बहुत अधिक निर्माण की सुविधाएँ उपलब्ध नहीं है लेकिन उससे भी महत्वपूर्ण है कि क्या विश्व दूसरे चीन के लिए तैयार है ? यदि हाँ तो शायद वह दूसरा चीन भारत ही है ।
उपसंहार :-
हमारे आर्थिक विकास की दर के लिए यह बहुत ही महत्वाकांक्षी परियोजना है । यदि इसके महत्व और दूरगामी परिणामों को देखें और एक ईमानदार कोशिश करें तो निश्चित ही हम इस योजना के द्वारा भारत को विश्व का , निर्माण के क्षेत्र में एक शक्ति केन्द्र बना सकने में सक्षम होंगे ।"दोस्तों उम्मीद है की आज की यह पोस्ट आपको जरूर पसंद आई होगी अगर आपका कोई सवाल या सुझाव इस पोस्ट से रिलेटेड हो तो कृपया टिपण्णी जरूर करें। "
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