दहेज़ प्रथा एक अभिशाप
प्रस्तावना :-
भारतीय समाज की वर्तमान में ज्वलंत समस्या दहेज है । यह एक ऐसा घुन है , जो हमारे समाज को खोखला कर रहा है । यह समस्या इतना विकराल रूप धारण कर चुकी है कि गंभीरतापूर्वक इस पर विचार - विमर्श करना तथा इसका हल खोजना अनिवार्य ही नहीं , आवश्यक भी है । इसके संबंध में एक कवि का कथन है ' सुख - दुःख में उठता गिरता संसार तिरोहित होगा , मुड़कर न कभी देखेगा किसका हित अनहित होगा । 'दहेज प्रथा का अर्थ :-
दहेज शब्द संस्कृत भाषा के दायज का विकृत रूप है । जो दाय और ज दो शब्दों से मिलकर बना है जिसका अर्थ है दाय अर्थात् उपहार , पुरस्कार और दान तथा ज से तात्पर्य कन्या या बेटी से है । दहेज का अर्थ- बेटी को दिये जाने वाले उपहार से है । समयानुसार , इसका अर्थ पिता के द्वारा वर या वधू को दिया जाने वाला उपहार है ।प्राचीनकाल में दहेज प्रथा :-
दहेज प्रथा अनेक युगों से चली आ रही है , किन्तु प्रत्येक युग में इसका रूप अलग अलग रहा है । भारतीय संस्कृति में पुत्री के विवाह को कन्यादान कहा जाता है । हमारे यहाँ दान को सजाकर रखने का रिवाज है । इसी को आधार मानकर भारतीय माता - पिता विवाहोत्सव पर कन्या को स्वर्णाभूषणों तथा वस्त्रों से सुसज्जित कर विदा करते हैं ।दहेज प्रथा का वर्तमान रूप और कारण :-
जैसे जैसे समय बीतता गया इस प्रथा ने सामाजिक रूढ़ि का रूप धारण कर लिया । प्राचीनकाल में कन्या के पिता पर कोई बंधन नहीं था , वह अपनी हैसियत के अनुसार कन्या को दहेज दे सकता था । परन्तु वर्तमान परिवेश में वर के आर्थिक स्तर और व्यवसाय के अनुरूप मूल्य आँका जाता है । इसके भी अनेक कारण हैं । वर्तमान भौतिकवादी युग में मानव का समस्त चिंतन और क्रियाकलाप अर्थ पर केन्द्रित है । आम आदमी अधिक से अधिक धन कमाना चाहता है , ऐसी स्थिति में आसान तरीका पुत्र के विवाह में प्राप्त होने वाला धन ही है । कुछ लोग गलत तरीके से कमाये गये काले धन को विवाह के अवसर पर दहेज के रूप में दिल खोलकर खर्च करते हैं । प्रभुत्व स्थापित करने के लिए दिखावा करते हैं । चाहे इसके लिए अचल संपत्ति को गिरवी क्यों न रखना पड़े , कर्ज में क्यों न डूबना पड़े ?दहेज प्रथा के दुष्परिणाम :-
दहेज प्रथा के अनेक दुष्परिणाम हैं । यह प्रथा विशेष रूप से मध्यमवर्गीय समाज हेतु अभिशाप बन गई है । इसी कारण ऐसे परिवारों में कन्या का जन्म होने पर मायूसी छा जाती है । पिता जन्म से ही दहेज जुटाने में लग जाते हैं , क्योंकि दहेज की कोई सीमा नहीं होती है , इसलिए वह दहेज के बहाने पैसा कमाने के लिए उचित - अनुचित साधन अपनाता है । इससे समाज में भ्रष्टाचार और अपराधवृत्ति को प्रोत्साहन मिलता है । जो भ्रष्टाचार का रास्ता नहीं अपना पाते उनका भविष्य अंधकारमय हो जाता है।Read Also -
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